आज एक बार फिर विकास के नाम पर गरीबों की उम्मीदों पर बुलडोज़र चला दिया गया। शहर की सड़कों पर वर्षों से मेहनत-मशक्कत कर अपने परिवार का पेट पाल रहे गरीब दुकानदारों की छोटी-छोटी दुकानों को प्रशासन ने तोड़ डाला।
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि छोटी दुकानों को तहस-नहस कर दिया गया। इनमें से कई दुकानदार ऐसे हैं जिनकी रोज़ की कमाई ही उनके पूरे परिवार के लिए रोटी का इंतजाम करती है। सरकारें ‘सबका साथ, सबका विकास’ की बात तो करती हैं, मगर जब बात गरीबों की आती है, तो विकास की गाड़ी उन्हीं को रौंदती नज़र आती है। ये वे लोग हैं जो किसी अपराध में लिप्त नहीं, बल्कि ईमानदारी से जीवनयापन कर रहे हैं। प्रशासन को चाहिए कि ऐसे कदम उठाने से पहले पुनर्वास की व्यवस्था सुनिश्चित करे। क्या कोई ऐसा कानून नहीं है जो गरीबों की भी सुरक्षा करे? क्या विकास सिर्फ अमीरों के लिए है?
वसीम खान